एक-पद राजकपोतासन। Eka Pada Rajakapotasana
ASANA


एकपाद राजकपोत आसन , योग का एक आसन है जो मध्यम स्तर के योग साधकों के लिए उपयुक्त है। यह कूल्हे की माँसपेशियों में लचक बढ़ाने में और साईटिका के कारण होने वाले दर्द से निवारण में सहायक है ।
इस आसन में बैठने से पहले शरीर में गर्माहट लाने वाले कुछ साधारण आसन करने से शरीर में खिंचाव लाना आसान व सरल हो जाता है।
माउंटेन पोज़ (ताड़ासन) में सीधे और लम्बे खड़े हों।
बाएँ पैर को दायें पैर से दो से तीन फीट पीछे लायें और पिरामिड की मुद्रा में आ जाएं।
अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे उल्टे, प्रार्थना की स्थिति में रखें।
अपने कूल्हों को सामने की ओर रखते हुए, साँस छोड़ें; कूल्हों से टिका हुआ, दाहिने पैर के ऊपर आगे झुकें।
जैसे ही आप साँस लेते हैं, अपनी रीढ़ को लंबा करें और साँस छोड़ते हुए अपने धड़ को जांघ की ओर लायें।
आराम करें और इस स्थिति में तीन से पांच लंबी साँस लें।
आसन को धीरे से छोड़ें और ताड़ासन में वापस आ जाएँ।
दूसरे पैर से दोहराएँ।
कपोतासन करने की विधि
एकपाद राजकपोत आसन के लाभ
एकपाद राजकपोत आसन के अनेक लाभ हैं
शरीर के पूरे निचले भाग में खिंचाव देता है।
पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।
पीठ को सुदृढ़ बनाता है।
शरीर की मुद्रा को बेहतर बनाता है।
शरीर में साईटिका की पीड़ा का निवारण करने में सहायक है।
नितम्बों को खोलने में सहायक है तथा इस क्षेत्र को और अधिक लचीला बनाता है।
शरीर को तनाव तथा व्यग्रता से मुक्त करता है।
छाती के क्षेत्र को पुष्ट करता है जिससे आप अधिक ऊर्जावान व आत्मविश्वासी महसूस करते हैं।